लागी प्रेम लगन जागी अनबुझ अगन ! लागी प्रेम लगन जागी अनबुझ अगन !
तुम हो तो मैं जड़वत हो जाऊँ तुम्हारे रंग में रंग कर पलाश बन जाऊँ...! तुम हो तो मैं जड़वत हो जाऊँ तुम्हारे रंग में रंग कर पलाश बन जाऊँ...!
सूरज की अगन से हुई थी तपन घोर मिट गई व्यथा वो जो अब तक सही है। सूरज की अगन से हुई थी तपन घोर मिट गई व्यथा वो जो अब तक सही है।
अलाव की अगन एक है। अलाव की अगन एक है।
वही हां वैसे ही तुम मेरे सूने से जीवन में आए वही हां वैसे ही तुम मेरे सूने से जीवन में आए
लाख जतन कर ले ये मन पर बोल उठती है मेरी कलम लाख जतन कर ले ये मन पर बोल उठती है मेरी कलम